Thursday 11 August 2011

11 अगस्त 2011: मेरा नामकरण संस्कार




देखो, पंडिज जी पूजा करवा रहे हैं, अले मेले मम्मी-पापा हैं यह।



 औल यह देतो, बुआ जी ने मुझे गोद में उठा लिया।


बुआ को थोड़ा प्यार मैं भी तो कर दूं,.................... देखो तो जरा................ मैं कैसे बुआ को प्यार कर रहा हूं।

Saturday 6 August 2011

06 अगस्त 2011 : मेरी छठी मनाई गई .................



अले बुआजी धीरे से......लगता है............ 
                                     ओहो........आपने तो रूला ही दिया..................



अब देखो मजा आया ...............................



मम्मी की गोद का मजा ही कुछ और है......

Tuesday 2 August 2011

लीजिये मैं भी आ गया

यह है मेरा ब्लॉग
                                 कौन हूँ मैं ???


अले यह तो बताया ही नहीं !!!
                                  बच्चा हूँ सोता सा.......
नाम ????
                                  हा-हा- हा- ....मेला कोई नाम ही नहीं है ...
मैं तो बिना नाम का हूँ ...........
                                 है न मजे की बात...........
02 अगस्त 2011 दिन  मंगलवार 

                                आज ही तो मैं भगवान के घल से आया हूँ यहाँ  


अले यह मैं कहाँ आ गया, सब मुझे ऐसे क्यों देख रहे हैं?? कितने सारे लोग ....जरा ध्यान से देख लूँ


और यह लो डॉ. आंटी ने मुझे रुला दिया...यह भी कोई बात ....कहा बच्चे को थोडा रुलाना जरुरी है...क्यों भाई ??  हँसाओ तब तो बात भी है 


अरे मम्मी कहाँ है ?? पापा भी आ गए क्या ?


यह लो मुझे तो मौसी ने गोद में ले लिया


हे भगवान !! मौसी ने तो मुझे किस कर लिया ................जो मुझे गोद में लेता है किस कर लेता है पता है डॉ. आंटी ने मना किया है .......................पर कोई मानता ही नहीं..


मुझे तो नींद आ रही है .....
चलो बाकी की बात फिर कभी ....




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