Friday 2 August 2013

2 अगस्त 2013: जन्मदिन पर आराध्य बना कान्हा, गरीब बच्चों को बांटे उपहार

            आज दो अगस्त 2013 को मैं पूरे दो वर्ष का हो गया। मेरा जन्मदिन तो धूम-धाम से मनाना ही था, पर मजेदार बात यह रही कि मेरे जन्मदिन को भारतीय परंपरा के अनुसार तिलक, पूजन करके भी मनाया गया और केक भी काटा गया।







दादी ने तिलक करके गिफ्ट दिया पर मेरी नजर तो मिठाई पर थी।














मुझे केक काटने से ज्यादा खाने की जल्दी थी सो बुआ, पापा और मम्मी को हाथ पकड़कर केक कटवाना पड़ा।










केक खाने और खिलाने में बहुत मजा आया। 



आज मैं कान्हां बना था सो सबने मेरे साथ खूब फोटो खिंचाईं।




 




यह है मेरी कज़िन, लगता है इसे भी कान्हा बनना है तभी तो मेरा मुकुट मांग रही है।



 और हां मेरे जन्मदिन पर ‘‘भारतीय बाल विकास संस्थान’’ की ओर से गरीब बच्चों के लिये निःशुल्क कोचिंग भी प्रारम्भ की गई, इस कोचिंग में 20 बच्चों को निःशुल्क शिक्षा प्रदान की जायेगी। आज मैंने उन बच्चों को गिफ्ट दिया, केक और चाॅकलेट भी खिलायी।

Sunday 19 May 2013

यह है हनुमान गढ़ी

आज मैंने पापा से कहा की मुझे गाड़ी पर बैठ कर घूमने चलना है ....
          पापा ने हमारे शहर के गंगा तट पर स्थित "श्री हनुमान गढ़ी" पर चलने का कार्यक्रम बनाया.


यह रहा मैं अपनी दादी की गोद में साथ में है मम्मी और बुआ.

 बहुत मज़ा आया यहाँ पर

 तभी तो देखो मैं अकेले ही कितना मस्त होकर घूम रहा हूँ

 अरे वाह!! कितनी सारी सीढियाँ

Friday 5 April 2013

सबने रंग डाला मुझे ......देखो तो जरा.




               पिछली होली पर तो मैं काफी       छोटा था...सो सिर्फ होली में सबको रंग लगाते देख कर ही खुश हुआ पर इस बार तो मैंने भी होली खेली ......
           लेकिन सबने मुझे ही रंग दिया .......






कोई बात नहीं अगली होली पर देखता हूँ....

Sunday 27 January 2013

पहली बार मैं गया अपनी बुआ जी के घर


  आज बाबा को अपने आफिस के काम से हरदोई जाना था, वहीं मेली बुआ का घर भी है। मैंने जिद की कि मैं भी चलूंगा। पहले तो बाबा ने मना किया क्यों कि वह पापा के साथ बाइक से जाने वाले थे पर बाद में मान गये, और मेरी बजह से फैसला हुआ कि अब वह बाइक से नहीं कार से जायंेगे। अब आपको तो पता ही है कि मुझे कार में घूमना कितना पसंद है।
  अपनी मम्मी के बिना मैं पहली बार सारे दिन के लिये कहीं जा रहा था सो बाबा और पापा को डर भी लग रहा था कि मैं कहीं रो-रोकर उन्हें परेशान न करूं।
पर मुझे तो घूमने का बहुत शौक है सो मैने उन्हें बिल्कुल भी परेशान नहीं किया और बुआ के घर पर पहुंचकर खूब मस्ती की, देखो तो जरा:- 

रास्ते में मुझे एक खेत में सरसों के ढेर सारे पौधे दिखे ...उन पर लगे थे पीले-पीले फूल. बस फिर क्या था मैंने पापा से कहकर कार रुकवा ली ...और बाबा से कहा मुझे वहां चलना है.






देखो कितने सारे फूल .......











नदी के उस पार कितने सारे हिरन है.....बीच में नदी होने के कारण मैं हिरणों के पास तक तो नहीं जा पाया पर उनकी खूब सारी फोटो पापा से कहकर जरुर ली.


 














ट्रेक्टर चलाने की भी

खूब कोशिष की मैंने .....









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