आज रविवार का दिन था और काफी दिनों बाद पापा को फुर्सत मिली। बस मुझे तो इसी मौके का इंतजार था। पापा के साथ के साथ गंगा तट पर शाम को घूमने का मजा लिया, मेरे साथ और कौन-कौन था यह तो बताया ही नहीं, आप खुद देख लो, अले भाई फोटो देखो
इनको नहीं पहचाना??? अले!!! पहचानेगें कैसे, इनके बारे में तो मैने कभी ब्लाग पर बताया ही नहीं। यह भी बाबा ही हैं श्री रघुबीर सिंह भदौरिया जी, और आपको तो पता ही है, मुझे हवाई जहाज बहुत अच्छे लगते हैं और यह बाबा एयरफोर्स में कैप्टन थे!!! आप कहेंगे इससे क्या.....अरे कम से कम हवाई जहाज वाली कहानी तो सुनायेंगे।
आज तो मस्ती ही मस्ती है, दो-दो बाबा का साथ जो है।
पापा के साथ पकड़म-पकड़ाई खेलेने में तो मजा आ गया।
इनको नहीं पहचाना??? अले!!! पहचानेगें कैसे, इनके बारे में तो मैने कभी ब्लाग पर बताया ही नहीं। यह भी बाबा ही हैं श्री रघुबीर सिंह भदौरिया जी, और आपको तो पता ही है, मुझे हवाई जहाज बहुत अच्छे लगते हैं और यह बाबा एयरफोर्स में कैप्टन थे!!! आप कहेंगे इससे क्या.....अरे कम से कम हवाई जहाज वाली कहानी तो सुनायेंगे।
आज तो मस्ती ही मस्ती है, दो-दो बाबा का साथ जो है।
पापा के साथ पकड़म-पकड़ाई खेलेने में तो मजा आ गया।
और फूफा जी के साथ भी खूब मस्ती की।